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भौजी के कंगना से खनके ताल : मनोज भावुक
अबकी आये ऐसा नया साल
हो जाये हर गाँव-शहर खुशहाल
भइया के मुँह से फूटे संगीत
भौजी के कंगना से खनके ताल
आये रे आये ऐसा मधुमास
फूल खिलाये ठूंठ पेड़ के डाल
झूम-झूम के नाचे मगन किसान
इतना लदरे जौ-गेहूँ के बाल ।
दिन सोना के चाँदी के हो रात
हर अँगना मे ऐसा होय कमाल
मस्ती मे सब गाये मिल के फाग
उड़े प्रेम का ऐसा रंग-गुलाल
लौटे रे लौटे गाँवों मे गाँव
फिर से जमे ओ संझा का चौपाल
-मनोज भावुक