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रवि किशन की फिल्म "1922 प्रतिकार चौरी चौरा" 30 जून 2023 को रिलीज हो रही है
Apr 27, 2023 am30 05:33am
फिल्म अभिनेता और सांसद रवि किशन की मुख्य भूमिका वाली फिल्म "1922 प्रतिकार चौरी चौरा" 30 जून 2023 को रिलीज होने जा रही है। सौ साल पहले 1922 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा गांव के लोगों ने ब्रिटिश शासन के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। इस क्रांतिकारी विद्रोह के कारण अनेक क्रांतिकारी शहीद हुए। चौरी चौरा कांड के 100 साल पूरे होने पर इस घटना पर आधारित फिल्म '1922 प्रतिकार चौरी चौरा' अब रिलीज के लिए तैयार है. निर्माता-निर्देशक अभीक भानु की इस फिल्म में रवि किशन ने मुख्य भूमिका निभाई है। फिल्म के ट्रेलर ने दर्शकों के बीच फिल्म को लेकर उत्सुकता पैदा कर दी है और लोग अनसुनी सच्चाई को बड़े पर्दे पर देखने के लिए बेताब हैं.
यह फिल्म हमारे देश के असली नायकों के बारे में है जिन्होंने उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपनी जान गंवाई। निर्देशक और निर्माता अभीक भानु इस फिल्म के माध्यम से उस घटना का सच सामने ला रहे हैं, जिसे सरयू विजन प्रस्तुत कर रहा है। सार्थक सिनेमा द्वारा इसे पूरे भारत में रिलीज किया जा रहा है।
इस फिल्म में प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता रवि किशन ने चौरीचौरा आंदोलन के नायक भगवान अहीर की भूमिका निभाई है, जबकि भारतेंदु नाट्य अकादमी के अध्यक्ष रवि शंकर खरे ने पंडित मदन मोहन मालवीय की भूमिका निभाई है। कलाकारों में ममता जितवानी, विजय त्रिवेदी, सपना त्रिवेदी का नाम भी उल्लेखनीय है। फिल्म में ममता जितवानी की एक्टिंग काबिले तारीफ है। फिल्म में सौरभ शुक्ला, अनिल नागरथ, उपेंद्र पांडे, दीप शर्मा, पवन पांडे, त्रिशु राज, विजय दिवस भी हैं।
रवि किशन कहते हैं कि चौरीचौरा के इतिहास को स्कूलों में पढ़ाना और पर्दे पर दिखाना बहुत जरूरी है. कुछ लोगों ने चौरीचौरा की क्रांति के असली स्वरूप को दबा दिया। ऐसा करना हमारे देश के क्रांतिकारियों के साथ विश्वासघात है। हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां भी जानना चाहेंगी कि हमारे अतीत में क्या हुआ था। देखा जाए तो पूर्वांचल के वे क्रांतिकारी ही असली वीर थे, जिनका नाम इतिहास में कभी दर्ज नहीं हुआ। इस फिल्म के माध्यम से उन क्रांतिकारियों के बलिदान को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है।
निर्माता-निर्देशक अभीक भानु ने कहा कि जब मैंने सुना कि चौरी चौरा कांड में बहुत सारे तथ्य छिपाए गए हैं, तो मैंने इस विषय पर एक फिल्म बनाने के बारे में सोचा. उसके बाद हमने काफी गहन शोध किया। पड़ताल के दौरान कई ऐसे दस्तावेज मिले, जिनमें कई अनसुने और अनकहे तथ्य सामने आए। इस घटना पर शाहिद अमीन और प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी की लिखी किताबों समेत कई किताबें पढ़ीं. उस समय इस घटना को कांड कहा गया जबकि हमने फिल्म के ट्रेलर में भी कहा है कि यह कांड नहीं बल्कि एक क्रांति थी.
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