Dec 29, 2022 pm31 12:09pm
चौरी चौरा प्रतिशोध के 100वें वर्ष में तथ्यों को सही करने के क्रम में जिला प्रशासन ने मुंडेरा बाजार नगर पंचायत का नाम चौरी चौरा के नाम पर करने का प्रस्ताव भेजा था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शासन के प्रस्ताव पर निर्णय लेते हुए नाम परिवर्तन को लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी कर दिया है। अब जल्द ही नाम परिवर्तन की अधिसूचना जारी की जा सकती है। जिला मुख्यालय से करीब 26 किलोमीटर दूर चौरी चौरा ऐतिहासिक स्थल है। चार फरवरी 1922 को क्रांतिकारियों ने चौरी चौरा थाने में आग लगा दी थी। फरवरी 2021 में चौरी चौरा प्रतिशोध का शताब्दी वर्ष मनाया गया। पूरे साल कई तरह के कार्यक्रम हुए।
चार फरवरी 2021 को शताब्दी समारोह मना। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उपस्थित हुए थे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभा को ऑनलाइन संबोधित किया था। इस दौरान ही चौरी चौरा से जुड़े तथ्यों को दुरुस्त करने का अभियान शुरू हुआ। कई तथ्य ठीक किए गए। तहसील व थाने का नाम तो चौरी चौरा है। 2007 के विधानसभा चुनाव तक विधानसभा क्षेत्र भी मुंडेरा बाजार के नाम से जाना जाता था, लेकिन परिसीमन के बाद 2012 के चुनाव से इसका नाम चौरी चौरा हो गया। मुख्य बाजार मुंडेरा बाजार होने के कारण नगर पंचायत का नाम मुंडेरा बाजार ही रह गया।
तत्कालीन जिलाधिकारी के. विजयेंद्र पाण्डियन ने मुंडेरा बाजार का नाम बदलकर चौरी चौरा करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था। शताब्दी वर्ष समारोह से ठीक पहले वीडियो कांफ्रेंसिंग में तत्कालीन जिलाधिकारी ने यह बात मुख्यमंत्री के समक्ष रखी थी और उनकी ओर से भी सहमति जताई गई। प्रशासन के प्रस्ताव पर शासन ने गृह मंत्रालय को एनओसी के लिए प्रस्ताव भेजा। इस पर सहमति बन गई। चौरी चौरा प्रतिशोध दिवस को हर साल शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर चौरी चौरा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिजन समिति के तत्वावधान में स्वतंत्रता सेनानियों के स्वजन को सम्मानित किया जाता है। हर साल तिरंगा यात्रा निकालने वाले समिति के सह संयोजक व मुंडेरा बाजार का नाम बदलने की मांग को लेकर गुहार लगाने वाले राकेश त्रिपाठी बताते हैं कि चौरी चौरा की पहचान विश्वस्तर पर है। ऐसे में नगर पंचायत का नाम परिवर्तित होना जरूरी था। गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलना हम सब के लिए गर्व की बात है।
चार फरवरी 1922 को चौरी चौरा में ब्रिटिश पुलिस ने सत्याग्रहियों के शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चलाई थी। इसमें तीन लोग बलिदान हो गए थे। आक्रोशित सत्याग्रहियों ने चौरी चौरा थाना फूंक दिया। 23 पुलिस कर्मियों की इसमें जान चली गई थी। घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया था। स्वाधीनता आंदोलन को एक नई दिशा देने वाली इस घटना को गलत तरीके से प्रस्तुत करने के आरोप लगते रहे हैं। तथ्यों को दुरुस्त करने के क्रम में प्रतिशोध के 100वें साल में मुंडेरा बाजार का नाम बदलने की कवायद शुरू हुई।